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क्या आप ऐसे चर्च गए है जहां …

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यशायाह 29:13 और प्रभु ने कहा, ये लोग जो मुंह से मेरा आदर करते हुए समीप आते परन्तु अपना मन मुझ से दूर रखते हैं, और जो केवल मनुष्यों की आज्ञा सुन सुनकर मेरा भय मानते हैं।

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क्या आप ऐसे चर्च गए है जहां …


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चर्च की सभाएं , जब आप उन्हे ध्यान से देखते हैं , तो एक अजीब तरह का अनुष्ठान लगता है। एक अनुष्ठान जो निश्चित रूप से पिछले दो हज़ार वर्षों में विकसित हुआ है, लेकिन यह काफी हद तक अपरिवर्तित रहा है।

क्या आप कभी ऐसे चर्च में गए हैं जहाँ लोग गाने के लिए खड़े होते हैं और फिर संदेश के लिए बैठ जाते है ? आज के युग में में यह अजीब बात लगती है। वे इसे “प्रशंसा आराधना ” कहते हैं।

वे उठकर गाना शुरू करते हैं। थोड़ी देर बाद आप चारों ओर देखना शुरू करते हैं। वो आदमी जो दूसरी बेंच पर बैठा है , वह जम्हाई ले रहा था और वहाँ पर वह औरत, वह अपने मोबाइल फोन से खेल रही थी। तब कोई व्यक्ति देर से आता है और आप सभी यह देखने के लिए पीछे घूमते हैं कि यह कौन है। वह परिवार, फिर से देर से आया ! उनके साथ क्या परेशानी है?

और वे इसे “प्रशंसा आराधना ” कहते हैं। सभी लोग ऐसा नहीं करते, लेकिन बहुत से लोग ऊब जाते हैं। अब तक आप बता सकते हैं, वे बस समय गुजार रहे हैं। क्यों? क्योंकि यह रविवार की एक रीत हैं।

मैं सोचता हूँ कि परमेश्वर क्या सोचता होगा । वह कैसा महसूस करता होगा ।  अगर आप या मैं इस विषय पर परमेश्वर से बातचीत करें , तो उसे इस मामले पर क्या कहना होगा ।  यदि यह पूरी “प्रशंसा और आराधना ” वास्तव में परमेश्वर के लिए है, तो क्या आपको नहीं लगता कि यह उन्हें अपने दिल से करना चाहिए ?

यशायाह 29:13 और प्रभु ने कहा, ये लोग जो मुंह से मेरा आदर करते हुए समीप आते परन्तु अपना मन मुझ से दूर रखते हैं, और जो केवल मनुष्यों की आज्ञा सुन सुनकर मेरा भय मानते हैं।

यह बहुत साफ है। हम इन बातों  से गुजरना कब बंद करेंगे ? हम अपने दिलों में, अपने पूरे मन से उस परमेश्वर कि आराधना कब करेंगे जिस ने हमे  बचाने के लिए अपने प्राण दिए ? या हम सिर्फ इसी तरह रीति रिवाजों में लगे रहेंगे ?

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज आपके लिए।


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