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धन्यवादी रवैया

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लूका 17:11-19 और ऐसा हुआ कि वह यरूशलेम को जाते हुए सामरिया और गलील के बीच से होकर जा रहा था। और किसी गांव में प्रवेश करते समय उसे दस कोढ़ी मिले। और उन्होंने दूर खड़े होकर, ऊंचे शब्द से कहा, हे यीशु, हे स्वामी, हम पर दया कर। उस ने उन्हें देखकर कहा, जाओ; और अपने तई याजकों को दिखाओ; और जाते ही जाते वे शुद्ध हो गए। तब उन में से एक यह देखकर कि मैं चंगा हो गया हूं, ऊंचे शब्द से परमेश्वर की बड़ाई करता हुआ लौटा। और यीशु के पांवों पर मुंह के बल गिरकर, उसका धन्यवाद करने लगा; और वह सामरी था। इस पर यीशु ने कहा, क्या दसों शुद्ध न हुए? तो फिर वे नौ कहां हैं? क्या इस परदेशी को छोड़ कोई और न निकला, जो परमेश्वर की बड़ाई करता? तब उस ने उस से कहा; उठकर चला जा; तेरे विश्वास ने

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धन्यवादी रवैया


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एक शब्द है जो पूरी तरह से, मौलिक रूप से, आपके जीवन को बदल देगा। यह आपके चीजों को देखने के तरीके को बदल देगा। यह परमेश्वर के साथ आपके संबंध को बदल देगा। और बुरे दिनों में आपके दिल में एक गीत ले आएगा ।

क्या आप जानना चाहेंगे कि वह शब्द क्या है? यह है धन्यवाद , क्योंकि जब हम अपनी परिस्थितियों, अच्छे या बुरे समय को  आभारी हृदय से देखते हैं तो यह सब कुछ बदल देता है। यह हमारे दृष्टिकोण को कि हम कैसा महसूस करते हैं, और हम आगे क्या करते हैं, इस सब को बदल देता है।

लेकिन लगता है कि बहुत से लोग आभार का जीवन नहीं जीते हैं। बाइबल से इस घटना को सुने :

लूका 17:11-19 और ऐसा हुआ कि वह यरूशलेम को जाते हुए सामरिया और गलील के बीच से होकर जा रहा था।और किसी गांव में प्रवेश करते समय उसे दस कोढ़ी मिले।और उन्होंने दूर खड़े होकर, ऊंचे शब्द से कहा, हे यीशु, हे स्वामी, हम पर दया कर।उस ने उन्हें देखकर कहा, जाओ; और अपने तई याजकों को दिखाओ; और जाते ही जाते वे शुद्ध हो गए।तब उन में से एक यह देखकर कि मैं चंगा हो गया हूं, ऊंचे शब्द से परमेश्वर की बड़ाई करता हुआ लौटा।और यीशु के पांवों पर मुंह के बल गिरकर, उसका धन्यवाद करने लगा; और वह सामरी था।इस पर यीशु ने कहा, क्या दसों शुद्ध न हुए? तो फिर वे नौ कहां हैं?क्या इस परदेशी को छोड़ कोई और न निकला, जो परमेश्वर की बड़ाई करता?तब उस ने उस से कहा; उठकर चला जा; तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है॥

आप क्या सोचते हैं कि इस एक कोढ़ी का जीवन अन्य नौ की तुलना मे कैसा होगा ?  निःसंदेह उसने आभार की मनोवृत्ति में अपना जीवन व्यतीत किया। चाहे वह पहले एक कोढ़ी हो।

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज आपके लिए…।