इस बुरी आदत को छोड़ दें।
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इब्रानियों 10:24,25 ... 24और प्रेम, और भले कामों में उस्काने के लिये हम एक दूसरे की चिन्ता किया करें, 25और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो त्यों–त्यों और भी अधिक यह किया करो।
जब आप और मैं खुद पर, अपनी क्षमताओं पर भरोसा करते हैं, तो हम जल्द ही जरूरत से ज्यादा स्वयं पर विश्वास करने लगते हैं। लेकिन जब हम परमेश्वर पर अपना भरोसा रखते हैं, तो आप कभी भी उस पर अति विश्वास नहीं कर सकते।
जैसा कि हमने कल देखा, हम परमेश्वर में अपनी आशा के अंगीकार को मजबूती से थामे रह सकते हैं, क्योंकि … वह विश्वासयोग्य है; हमेशा वफादार है। वह आपको कभी असफल नहीं करेगा। यह एक खुशखबरी है, खासकर तब जब आपकी आस्था थोड़ी डगमगा रही हो।
लेकिन अपने दम पर ऐसा करना, मुश्किलों में ईश्वर में अपने विश्वास को बनाए रखना, विश्वास में मजबूत और आशावान लोगों के लिए भी एक संघर्ष हो सकता है। इसलिए …
इब्रानियों 10:24,25 … 24और प्रेम, और भले कामों में उस्काने के लिये हम एक दूसरे की चिन्ता किया करें, 25और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो त्यों–त्यों और भी अधिक यह किया करो।
हमारा विश्वास, ईश्वर पर हमारा भरोसा, एक मांसपेशी की तरह है। इसे मजबूत बनाए रखने के लिए इसका इस्तेमाल करना जरूरी है। इसलिए साथी विश्वासियों के साथ समय बिताना, एक-दूसरे से प्यार करना, एक-दूसरे की सेवा करना, एक साथ मिलना झूलना एक अच्छी आदत है।
और ऐसा करने में असफल रहना, सबसे बुरी आदत है जिसमें आप पड़ सकते हैं, क्योंकि परमेश्वर ने हमें एक ऐसा परिवार बनाया है जहाँ, मसीह में भाइयों और बहनों के रूप में, हम एक दूसरे को सहारा देते हैं, सेवा करते और प्रोत्साहन देते हैं। इस तरह आप अपने विश्वास में मजबूत बने रहते हैं। इसे “चर्च या मसीह की कलिसिया ” कहा जाता है – हालांकि मसीह के शरीर के रूप में एक साथ काम करने के कई अलग-अलग तरीके हैं।
लेकिन जैसे भी आप “मसीह की कलिसिया” का हिस्सा बनना चाहें, एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को प्रोत्साहित करें।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज … आपके लिए…।