घबराहट को आशा में बदलें
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भजन 18:3-6 मैं यहोवा को जो स्तुति के योग्य है पुकारूंगा; इस प्रकार मैं अपने शत्रुओं से बचाया जाऊंगा॥ 4 मृत्यु की रस्सियों से मैं चारो ओर से घिर गया हूं, और अधर्म की बाढ़ ने मुझ को भयभीत कर दिया; 5 पाताल की रस्सियां मेरे चारो ओर थीं, और मृत्यु के फन्दे मुझ पर आए थे। 6 अपने संकट में मैं ने यहोवा परमेश्वर को पुकारा; मैं ने अपने परमेश्वर की दोहाई दी। और उसने अपने मन्दिर में से मेरी बातें सुनी। और मेरी दोहाई उसके पास पहुंचकर उसके कानों में पड़ी॥
क्या मैं आज आपसे घबराहट के बारे में बातचीत कर सकता हूँ । सीधे तौर पर, यह आपको उस स्थान पर ले जाती है जहां आप पहले भी डर के कारण,या किसी घटना की आशंका के कारण रहे हैं, ।
घबराहट एक ऐसी जगह है जहां हममें से कोई भी दोबारा नहीं जाना चाहेगा है ना? और फिर भी जैसे-जैसे हमारा जीवन आगे बड़ता है, खतरे और अनिश्चितताएं हमें एक बार फिर उस जगह पर ले जाती हैं जो हमारे रास्ते में आने वाली हैं।
और जबकि डर एक स्वाभाविक, सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया है, यदि आपने यीशु पर अपना भरोसा रखा है, तो घबराहट की भावना को आप दूर कर सकते हैं और इसे दूर करना भी चाहिए।
आइए राजा दाऊद को सुनें जिन्होंने वर्षों तक अपने जीवन में खतरों का सामना किया। वर्षों तक , इसके बारे में सोचो.
भजन 18:3-6 मैं यहोवा को जो स्तुति के योग्य है पुकारूंगा; इस प्रकार मैं अपने शत्रुओं से बचाया जाऊंगा॥ 4 मृत्यु की रस्सियों से मैं चारो ओर से घिर गया हूं, और अधर्म की बाढ़ ने मुझ को भयभीत कर दिया; 5 पाताल की रस्सियां मेरे चारो ओर थीं, और मृत्यु के फन्दे मुझ पर आए थे। 6 अपने संकट में मैं ने यहोवा परमेश्वर को पुकारा; मैं ने अपने परमेश्वर की दोहाई दी। और उसने अपने मन्दिर में से मेरी बातें सुनी। और मेरी दोहाई उसके पास पहुंचकर उसके कानों में पड़ी॥
दाऊद अपना डर व्यक्त करने से कभी नहीं कतराता था । वे असली थे, बहुत असली। लेकिन जैसे ही उसने उन्हें ईश्वर के सामने डाल दिया… आप बार-बार देखते हैं कि उसकी घबराहट आशा में बदल गई।
जैसे ही उसने अपनी नज़र सामने मौजूद ख़तरे से हटाकर अपने से ऊपर परमेश्वर की ओर उठाई, उसका दिल मजबूत हो गया। वह यह देखने लगा कि परमेश्वर क्या करेगा। जब आप प्रार्थना करते हैं तो ऐसा ही होता है। घबराहट आशा बन जाती है।
और यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज आपके लिए…।